भाषा विकास के प्रमुख मनोवैज्ञानिक सिद्धांत

Sunil Sagare
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'भाषा विकास' (Language Development) एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। बाल विकास (CDP) और हिंदी/अंग्रेजी पेडागोजी दोनों खण्डों में इससे प्रश्न पूछे जाते हैं। नीचे प्रमुख मनोवैज्ञानिकों और उनके सिद्धांतों का विस्तृत और बिंदुवार विवरण दिया गया है।


1. नोम चॉम्स्की (Noam Chomsky) का सिद्धांत: नैटिविस्ट परिप्रेक्ष्य

नोम चॉम्स्की को आधुनिक भाषा विज्ञान का जनक माना जाता है। उनका मानना है कि मनुष्यों में भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात होती है।

प्रमुख अवधारणाएँ:

  • भाषा अर्जन यंत्र (LAD - Language Acquisition Device):

    • चॉम्स्की के अनुसार, प्रत्येक बालक के मस्तिष्क में एक काल्पनिक उपकरण होता है जिसे LAD कहा जाता है।

    • यह यंत्र बच्चों को उस भाषा के व्याकरणिक नियमों को स्वाभाविक रूप से समझने और ग्रहण करने में मदद करता है जो वे अपने आसपास सुनते हैं।

    • LAD 5 साल की उम्र तक सबसे अधिक सक्रिय रहता है। यही कारण है कि बच्चे बचपन में कोई भी भाषा बहुत तेजी से सीख लेते हैं। किशोरावस्था के बाद इसकी क्षमता कम होने लगती है।

  • सार्वभौमिक व्याकरण (Universal Grammar):

    • चॉम्स्की का तर्क है कि दुनिया की सभी भाषाओं की मूल संरचना (जैसे संज्ञा, क्रिया, विशेषण) एक समान होती है।

    • बच्चे इस 'सार्वभौमिक व्याकरण' के ज्ञान के साथ पैदा होते हैं। उन्हें केवल अपने वातावरण में मौजूद विशिष्ट शब्दों को इस ढांचे में फिट करना होता है।

  • जनरेटिव ग्रामर (Generative Grammar):

    • बच्चे केवल रटे हुए वाक्य नहीं बोलते, बल्कि वे सीमित शब्दों और नियमों का उपयोग करके अनगिनत नए वाक्य बना सकते हैं जो उन्होंने पहले कभी नहीं सुने।

CTET के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

  • भाषा अर्जन एक जन्मजात क्षमता है।

  • वातावरण केवल भाषा को सक्रिय करने का कार्य करता है, सिखाने का नहीं।


2. जीन पियाजे (Jean Piaget) का सिद्धांत: संज्ञानात्मक विकास

जीन पियाजे का मानना था कि भाषा विकास, बालक के संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) का ही एक हिस्सा है। उनके अनुसार, विचार भाषा से पहले आते हैं।

प्रमुख अवधारणाएँ:

  • विचार बनाम भाषा:

    • पियाजे का प्रसिद्ध कथन है: "विचार न केवल भाषा का निर्धारण करते हैं, बल्कि उससे पहले भी आते हैं।"

    • जब बच्चा दुनिया को समझने लगता है (स्कीमा बनाता है), तब वह उसे व्यक्त करने के लिए भाषा का उपयोग करता है।

  • अहमकेंद्रित वाक (Egocentric Speech):

    • पियाजे ने देखा कि शैशवावस्था (3 से 5 वर्ष) में बच्चे अक्सर खुद से बात करते हैं।

    • पियाजे ने इसे 'अहमकेंद्रित वाक' कहा। उनके अनुसार, यह बच्चा यह मानता है कि जो वह देख या सोच रहा है, वही दूसरे भी देख रहे हैं।

    • पियाजे के अनुसार, यह वाक सामाजिक या संप्रेषणात्मक उद्देश्य के लिए उपयोगी नहीं होता और उम्र बढ़ने के साथ यह समाप्त हो जाता है।

  • सामूहिक एकलाप (Collective Monologue):

    • जब बच्चे समूह में खेलते हैं, तो वे बात तो कर रहे होते हैं, लेकिन एक-दूसरे से नहीं, बल्कि अपनी-अपनी बात कह रहे होते हैं।

CTET के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

  • संज्ञानात्मक विकास भाषा विकास की पूर्व शर्त है।

  • अहमकेंद्रित वाक का कोई विशेष संज्ञानात्मक लाभ नहीं है (यह वाइगोत्स्की के विचार के विपरीत है)।


3. लेव वाइगोत्स्की (Lev Vygotsky) का सिद्धांत: सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

वाइगोत्स्की ने पियाजे के विपरीत तर्क दिया। उनका मानना था कि भाषा और विचार शुरू में अलग-अलग होते हैं और बाद में मिल जाते हैं। भाषा विकास पूरी तरह से सामाजिक अंतःक्रिया पर निर्भर है।

प्रमुख अवधारणाएँ:

  • सामाजिक अंतःक्रिया (Social Interaction):

    • बच्चे अपने माता-पिता, साथियों और समाज के साथ बातचीत करके भाषा सीखते हैं।

    • भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है, बल्कि यह ज्ञान निर्माण का एक औजार है।

  • निजी वाक (Private Speech):

    • वाइगोत्स्की ने बच्चों के खुद से बात करने को 'निजी वाक' कहा।

    • पियाजे के विपरीत, वाइगोत्स्की इसे बहुत महत्वपूर्ण मानते थे।

    • निजी वाक के माध्यम से बच्चे अपने व्यवहार को निर्देशित और नियमित (Regulate) करते हैं। यह कठिन कार्यों को हल करने में उनकी मदद करता है।

    • आगे चलकर यही निजी वाक 'आंतरिक वाक' (Inner Speech) में बदल जाता है, जो चिंतन का आधार है।

  • विचार और भाषा का संबंध:

    • प्रारंभ में (लगभग 2 वर्ष तक) भाषा और विचार अलग-अलग चलते हैं।

    • लगभग 3 वर्ष की आयु में ये दोनों मिल जाते हैं: विचार मौखिक हो जाते हैं और वाणी विचारशील हो जाती है।

  • ZPD और पाड़ (Scaffolding):

    • वयस्क बच्चों के साथ बातचीत के दौरान उन्हें नए शब्द और वाक्य संरचनाएँ प्रदान करते हैं (पाड़), जिससे बच्चा अपने वर्तमान स्तर से ऊपर उठकर भाषा सीखता है (ZPD)।

CTET के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

  • भाषा विकास सामाजिक संदर्भ में होता है।

  • निजी वाक संज्ञानात्मक विकास का एक महत्वपूर्ण साधन है।

  • अधिगम, विकास से पहले होता है (Learning leads development)।


4. बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) का सिद्धांत: व्यवहारवाद

स्किनर का मानना था कि भाषा अन्य व्यवहारों की तरह ही सीखी जाती है। इसमें कोई जन्मजात क्षमता नहीं होती, बल्कि यह वातावरण और अनुभव का परिणाम है।

प्रमुख अवधारणाएँ:

  • ऑपरेंट कंडीशनिंग (Operant Conditioning):

    • बच्चा भाषा को प्रयास और त्रुटि के माध्यम से सीखता है।

  • अनुकरण (Imitation):

    • बच्चे अपने बड़ों की नकल करके शब्द बोलना सीखते हैं।

  • पुनर्बलन (Reinforcement):

    • यह स्किनर के सिद्धांत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    • जब बच्चा कोई शब्द सही बोलता है (जैसे 'मम्मा') और माता-पिता खुश होकर उसे प्यार करते हैं या वह वस्तु देते हैं, तो इसे सकारात्मक पुनर्बलन मिलता है।

    • इस पुनर्बलन के कारण बच्चा उस शब्द को बार-बार दोहराता है और भाषा सीख जाता है।

CTET के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:

  • भाषा अभ्यास, नकल और रटने (Drill and Practice) का परिणाम है।

  • गलत उच्चारण पर सुधार और सही पर इनाम मिलने से भाषा विकसित होती है।


5. स्टीफन क्रशेन (Stephen Krashen): द्वितीय भाषा अर्जन का सिद्धांत

यद्यपि यह आधुनिक सिद्धांत है, लेकिन अंग्रेजी और हिंदी पेडागोजी में इससे अक्सर प्रश्न आते हैं।

  • अर्जन बनाम अधिगम (Acquisition vs Learning):

    • अर्जन: यह अचेतन प्रक्रिया है। जैसे हम अपनी मातृभाषा सीखते हैं। यह प्राकृतिक और सहज है।

    • अधिगम: यह चेतन प्रक्रिया है। इसमें व्याकरण के नियम औपचारिक रूप से सीखे जाते हैं (जैसे स्कूल में दूसरी भाषा सीखना)।

  • बोधगम्य निवेश (Comprehensible Input - i+1):

    • बच्चे भाषा तब सबसे बेहतर सीखते हैं जब उन्हें उनकी वर्तमान क्षमता से थोड़ा उच्च स्तर (i+1) की भाषा सुनने/पढ़ने को मिलती है।

  • भावात्मक फिल्टर (Affective Filter):

    • तनाव, चिंता या डर होने पर भाषा सीखने की गति धीमी हो जाती है। सीखने के लिए बच्चे का वातावरण भयमुक्त होना चाहिए।


तुलनात्मक सारांश: पियाजे बनाम वाइगोत्स्की

विशेषताजीन पियाजेलेव वाइगोत्स्की
विकास का आधारसंज्ञानात्मक परिपक्वता (जैविक)सामाजिक अंतःक्रिया और संस्कृति
क्रमविकास -> अधिगमअधिगम -> विकास
भाषा और विचारविचार पहले, भाषा बाद मेंभाषा और विचार स्वतंत्र, बाद में विलीन
खुद से बात करनाअहमकेंद्रित वाक (कम उपयोगी)निजी वाक (संज्ञान के लिए महत्वपूर्ण)

भाषा अर्जन और अधिगम में अंतर

यह अवधारणा परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

1. भाषा अर्जन (Language Acquisition):

  • प्रक्रिया: स्वाभाविक और अवचेतन (Subconscious)।

  • प्रयास: बिना किसी विशेष प्रयास के स्वतः होता है।

  • वातावरण: अनौपचारिक वातावरण (घर, परिवार) में होता है।

  • ध्यान: अर्थ समझने पर केंद्रित होता है, व्याकरण पर नहीं।

  • उदाहरण: मातृभाषा (Mother Tongue)।

2. भाषा अधिगम (Language Learning):

  • प्रक्रिया: सचेत और प्रयासपूर्ण (Conscious)।

  • प्रयास: नियमों और व्याकरण को रटना या समझना पड़ता है।

  • वातावरण: औपचारिक वातावरण (विद्यालय, कक्षा) में होता है।

  • ध्यान: शुद्धता और नियमों पर केंद्रित होता है।

  • उदाहरण: द्वितीय भाषा (Second Language) या विदेशी भाषा।


महत्वपूर्ण शब्दावली (Glossary)

  • स्वनिम (Phoneme): भाषा की सबसे छोटी इकाई जिसका अपना कोई अर्थ नहीं होता लेकिन यह अर्थ बदल सकती है। (जैसे: क, च, ट)।

  • रूपिम (Morpheme): भाषा की सबसे छोटी अर्थपूर्ण इकाई। (जैसे: 'वाला' - दूधवाला)।

  • विन्यास (Syntax): वाक्य में शब्दों का सही क्रम। (कर्ता + कर्म + क्रिया)।

  • अर्थविज्ञान (Semantics): शब्दों और वाक्यों के अर्थ का अध्ययन।


निष्कर्ष और अध्ययन सुझाव

CTET परीक्षा में प्रश्न सीधे सिद्धांतकारों के नाम से या व्यावहारिक स्थितियों (Application based) के रूप में पूछे जाते हैं।

  • यदि प्रश्न में "जन्मजात क्षमता" शब्द है -> उत्तर चॉम्स्की होगा।

  • यदि प्रश्न में "समाज", "संस्कृति", "सहयोग" या "निजी वाक" है -> उत्तर वाइगोत्स्की होगा।

  • यदि प्रश्न में "अनुकूलन", "विचार पहले" या "अहमकेंद्रित वाक" है -> उत्तर पियाजे होगा।

  • यदि प्रश्न में "नकल", "पुनर्बलन" या "पुरस्कार" है -> उत्तर स्किनर होगा।

 



भाषा विकास के प्रमुख मनोवैज्ञानिक सिद्धांत

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