संख्या पद्धति और संख्याओं के प्रकार

Sunil Sagare
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गणित की भाषा में वस्तुओं को गिनने, मापने और नामकरण करने के लिए जिनका उपयोग किया जाता है, उन्हें संख्या (Number) कहते हैं। CTET परीक्षा के लिए संख्या पद्धति एक आधारभूत और अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है। यहाँ हम गणितीय अवधारणाओं को सरल और बिंदुवार तरीके से समझेंगे।


1. संख्या और संख्यांक (Number and Numerals)

किसी भी संख्या को लिखने के लिए हम संकेतों या प्रतीकों का उपयोग करते हैं, जिन्हें अंक (Digits) कहते हैं।

  • अंक: गणित में कुल 10 अंक होते हैं: $0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9$

  • दाशमिक प्रणाली (Decimal System): चूँकि हम 10 अंकों का प्रयोग करते हैं, इसलिए इसे दाशमिक प्रणाली कहा जाता है।

  • आधार (Base): इस प्रणाली का आधार 10 होता है।


2. संख्यांकन प्रणालियाँ (Numeration Systems)

संख्याओं को पढ़ने और लिखने के लिए मुख्य रूप से दो प्रणालियों का पालन किया जाता है।

A. भारतीय संख्यांकन प्रणाली (Indian System of Numeration)

इस प्रणाली में हम इकाई, दहाई, सैकड़ा, हज़ार, लाख और करोड़ का प्रयोग करते हैं। इसमें अल्पविराम (Comma) का प्रयोग पहले 3 अंकों के बाद और फिर हर 2 अंकों के बाद किया जाता है।

स्थान और उनके मान:

  • इकाई (Unit): $10^0$

  • दहाई (Ten): $10^1$

  • सैकड़ा (Hundred): $10^2$

  • हज़ार (Thousand): $10^3$

  • दस हज़ार (Ten Thousand): $10^4$

  • लाख (Lakh): $10^5$

  • दस लाख (Ten Lakh): $10^6$

  • करोड़ (Crore): $10^7$

  • दस करोड़ (Ten Crore): $10^8$

उदाहरण:

संख्या $4,32,56,789$ को पढ़ा जाएगा:

चार करोड़ बतीस लाख छप्पन हज़ार सात सौ नवासी।


B. अन्तर्राष्ट्रीय संख्यांकन प्रणाली (International System of Numeration)

यह प्रणाली विश्व स्तर पर मान्य है। इसमें लाख और करोड़ के स्थान पर मिलियन और बिलियन का प्रयोग होता है। इसमें अल्पविराम हर 3 अंकों के बाद लगाया जाता है।

स्थान और उनके मान:

  • इकाई (Unit): $10^0$

  • हज़ार (Thousand): $10^3$

  • मिलियन (Million): $10^6$

  • बिलियन (Billion): $10^9$


C. तुलनात्मक चार्ट (भारतीय बनाम अन्तर्राष्ट्रीय)

नीचे दी गई सारणी में दोनों प्रणालियों की तुलना 10 की घातों के आधार पर की गई है:

$$\begin{array}{|l|l|l|} \hline \textbf{10 की घात (Power)} & \textbf{भारतीय प्रणाली} & \textbf{अन्तर्राष्ट्रीय प्रणाली} \\ \hline 10^3 & 1 \text{ हज़ार} & 1 \text{ Thousand} \\ \hline 10^4 & 10 \text{ हज़ार} & 10 \text{ Thousand} \\ \hline 10^5 & 1 \text{ लाख} & 100 \text{ Thousand} \\ \hline 10^6 & 10 \text{ लाख} & 1 \text{ Million} \\ \hline 10^7 & 1 \text{ करोड़} & 10 \text{ Million} \\ \hline 10^8 & 10 \text{ करोड़} & 100 \text{ Million} \\ \hline 10^9 & 1 \text{ अरब} & 1 \text{ Billion} \\ \hline \end{array}$$

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • $1 \text{ Million} = 10 \text{ Lakh}$

  • $10 \text{ Million} = 1 \text{ Crore}$

  • $1 \text{ Billion} = 100 \text{ Crore}$ (या 1 अरब)


3. रोमन संख्यांक (Roman Numerals)

रोमन पद्धति सबसे प्राचीन संख्या प्रणालियों में से एक है। इसमें 7 मूल संकेतों का प्रयोग होता है। CTET में अक्सर रोमन संख्याओं के जोड़-घटाव या रूपांतरण पर प्रश्न आते हैं।

मूल संकेत और उनके मान

$$\begin{array}{|c|c|c|c|c|c|c|c|} \hline \textbf{संकेत} & I & V & X & L & C & D & M \\ \hline \textbf{मान} & 1 & 5 & 10 & 50 & 100 & 500 & 1000 \\ \hline \end{array}$$

रोमन संख्या लिखने के नियम

नियम 1: पुनरावृत्ति (Repetition)

  • किसी संकेत को बार-बार लिखने का अर्थ है उसे जोड़ना।

  • केवल $I, X, C, M$ को ही दोहराया जा सकता है।

  • $V, L, D$ को कभी नहीं दोहराया जाता।

  • कोई भी संकेत लगातार 3 बार से अधिक नहीं दोहराया जा सकता।

    • उदाहरण: $XXX = 10 + 10 + 10 = 30$

    • (40 के लिए $XXXX$ लिखना गलत है, इसे $XL$ लिखा जाता है)।

नियम 2: जोड़ (Addition)

  • यदि छोटा मान बड़े मान के दाईं ओर लिखा जाए, तो वह जुड़ जाता है।

    • $VI = 5 + 1 = 6$

    • $LX = 50 + 10 = 60$

    • $MC = 1000 + 100 = 1100$

नियम 3: घटाव (Subtraction)

  • यदि छोटा मान बड़े मान के बाईं ओर लिखा जाए, तो वह घट जाता है।

    • $IV = 5 - 1 = 4$

    • $XL = 50 - 10 = 40$

    • $XC = 100 - 10 = 90$

    • $CM = 1000 - 100 = 900$

  • $V, L, D$ को कभी भी घटाया नहीं जा सकता।

  • $I$ को केवल $V$ और $X$ से घटाया जा सकता है।

उदाहरण प्रश्न:

संख्या 98 को रोमन में कैसे लिखेंगे?

  • $98 = 90 + 8$

  • $90 = (100 - 10) = XC$

  • $8 = VIII$

  • उत्तर: $XCVIII$


4. बाइनरी संख्या प्रणाली (Binary Number System)

आधुनिक कंप्यूटर बाइनरी भाषा समझते हैं। इसे द्वि-आधारी प्रणाली भी कहते हैं।

  • अंक: इसमें केवल दो अंकों $0$ और $1$ का उपयोग होता है।

  • आधार (Base): इसका आधार 2 होता है।

दशमलव से बाइनरी रूपांतरण (Decimal to Binary)

दशमलव संख्या को बाइनरी में बदलने के लिए हम संख्या को लगातार 2 से भाग देते हैं और शेषफल (Remainder) को नोट करते हैं।

उदाहरण: संख्या $25$ को बाइनरी में बदलें।

हम यहाँ भाग विधि का प्रयोग करेंगे:

$$\begin{array}{c|c} 2 & 25 \\ \hline 2 & 12 \quad \text{(शेषफल } 1) \\ \hline 2 & 6 \quad \text{ (शेषफल } 0) \\ \hline 2 & 3 \quad \text{ (शेषफल } 0) \\ \hline 2 & 1 \quad \text{ (शेषफल } 1) \\ \hline & 0 \quad \text{ (शेषफल } 1) \end{array}$$

लिखने का तरीका: शेषफलों को नीचे से ऊपर की ओर लिखें।

अतः, $(25)_{10} = (11001)_2$

बाइनरी से दशमलव रूपांतरण (Binary to Decimal)

बाइनरी संख्या को वापस दशमलव में बदलने के लिए हम $2$ की घातों का उपयोग करते हैं (दाएं से बाएं)।

उदाहरण: $(11001)_2$ का मान ज्ञात करें।

$$\begin{aligned} & = 1 \times 2^4 + 1 \times 2^3 + 0 \times 2^2 + 0 \times 2^1 + 1 \times 2^0 \\ & = 1 \times 16 + 1 \times 8 + 0 \times 4 + 0 \times 2 + 1 \times 1 \\ & = 16 + 8 + 0 + 0 + 1 \\ & = 25 \end{aligned}$$

5. अंकों के मान (Values of Digits)

परीक्षा में अक्सर किसी संख्या के स्थानीय मान और जातीय मान के अंतर या योग पर प्रश्न पूछे जाते हैं।

A. जातीय मान (Face Value)

किसी अंक का अपना वास्तविक मान जो कभी नहीं बदलता, चाहे वह किसी भी स्थान पर क्यों न हो।

  • उदाहरण: संख्या $5821$ में $8$ का जातीय मान $8$ ही है।

B. स्थानीय मान (Place Value)

अंक का वह मान जो संख्या में उसकी स्थिति के अनुसार बदलता है।

  • सूत्र: $\text{स्थानीय मान} = \text{जातीय मान} \times \text{स्थान का मान}$

उदाहरण:

संख्या $63,924$ में:

  • $9$ का स्थानीय मान = $9 \times 100 = 900$

  • $3$ का स्थानीय मान = $3 \times 1000 = 3000$

CTET प्रश्न उदाहरण:

संख्या $29503$ में $5$ के स्थानीय मान और $3$ के जातीय मान का अंतर क्या है?

  • $5$ का स्थानीय मान = $500$

  • $3$ का जातीय मान = $3$

  • अंतर = $500 - 3 = 497$


6. संख्याओं का वर्गीकरण (Classification of Numbers)

संख्याओं को उनके गुणों के आधार पर विभिन्न प्रकारों में बांटा गया है।

1. प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers - N)

वे संख्याएँ जिनका प्रयोग वस्तुओं को गिनने में किया जाता है।

  • $N = \{1, 2, 3, 4, 5, \dots \infty\}$

  • सबसे छोटी प्राकृत संख्या: $1$

2. पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers - W)

यदि प्राकृत संख्याओं के समूह में $0$ (शून्य) को भी शामिल कर लिया जाए, तो वे पूर्ण संख्याएँ कहलाती हैं।

  • $W = \{0, 1, 2, 3, 4, \dots \infty\}$

  • सबसे छोटी पूर्ण संख्या: $0$

3. पूर्णांक (Integers - Z)

सभी पूर्ण संख्याएँ और उनकी ऋणात्मक संख्याएँ मिलकर पूर्णांक बनाती हैं।

  • $Z = \{\dots -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3 \dots\}$

  • धनात्मक पूर्णांक: $1, 2, 3 \dots$

  • ऋणात्मक पूर्णांक: $-1, -2, -3 \dots$

  • $0$ न तो धनात्मक है और न ही ऋणात्मक।

4. सम और विषम संख्याएँ (Even and Odd Numbers)

  • सम संख्या (Even): वे संख्याएँ जो $2$ से पूरी तरह विभाजित हो जाती हैं।

    • सामान्य रूप: $2n$

    • उदाहरण: $2, 4, 6, 8, 10, \dots$

  • विषम संख्या (Odd): वे संख्याएँ जो $2$ से पूरी तरह विभाजित नहीं होतीं।

    • सामान्य रूप: $2n - 1$ या $2n + 1$

    • उदाहरण: $1, 3, 5, 7, 9, \dots$

5. अभाज्य और भाज्य संख्याएँ (Prime and Composite Numbers)

यह CTET का सबसे पसंदीदा टॉपिक है।

अभाज्य संख्या (Prime Number):

वे संख्याएँ जिनके केवल दो गुणनखंड होते हैं: एक तो $1$ और दूसरी वह स्वयं।

  • उदाहरण: $2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29 \dots$

  • महत्वपूर्ण: $2$ सबसे छोटी अभाज्य संख्या है और यह एकमात्र सम अभाज्य संख्या है।

भाज्य संख्या (Composite Number):

वे संख्याएँ जिनके दो से अधिक गुणनखंड होते हैं।

  • उदाहरण: $4, 6, 8, 9, 10, 12 \dots$

  • $4$ सबसे छोटी भाज्य संख्या है।

  • नोट: $1$ न तो अभाज्य है और न ही भाज्य।

6. सह-अभाज्य संख्याएँ (Co-prime Numbers)

ऐसी दो संख्याओं का जोड़ा जिनका महत्तम समापवर्तक (HCF) केवल $1$ हो। यह जरूरी नहीं कि दोनों संख्याएँ अभाज्य ही हों।

  • उदाहरण: $(3, 5)$, $(4, 9)$, $(8, 15)$

7. परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers)

वे संख्याएँ जिन्हें $\frac{p}{q}$ के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ $p$ और $q$ पूर्णांक हैं और $q \neq 0$

  • उदाहरण: $\frac{3}{4}, \frac{-5}{2}, 4$ (क्योंकि $4 = \frac{4}{1}$), $0$ (क्योंकि $0 = \frac{0}{1}$)।

  • दशमलव रूप: इनका दशमलव प्रसार या तो सांत (Terminating) होता है या असांत आवर्ती (Non-terminating Repeating)।

    • $0.5$ (सांत)

    • $0.333\dots$ (असांत आवर्ती)

8. अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers)

वे संख्याएँ जिन्हें $\frac{p}{q}$ के रूप में नहीं लिखा जा सकता।

  • इनका दशमलव प्रसार असांत और अनावर्ती (Non-terminating Non-repeating) होता है।

  • उदाहरण: $\sqrt{2}, \sqrt{3}, \sqrt{5}, \pi$

  • ध्यान दें: $\pi$ एक अपरिमेय संख्या है, जबकि इसका मान $\frac{22}{7}$ एक परिमेय संख्या माना जाता है (गणना के उद्देश्य से)।

9. वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)

परिमेय और अपरिमेय संख्याओं के समूह को वास्तविक संख्याएँ कहते हैं। संख्या रेखा पर मौजूद हर बिंदु एक वास्तविक संख्या है।


7. विभाज्यता के नियम (Divisibility Rules) - संक्षिप्त

गणना को तेज करने के लिए ये नियम बहुत उपयोगी हैं:

  • 2 से: अंतिम अंक $0, 2, 4, 6, 8$ हो।

  • 3 से: अंकों का योग $3$ से विभाजित हो।

  • 4 से: अंतिम दो अंकों से बनी संख्या $4$ से विभाजित हो।

  • 5 से: अंतिम अंक $0$ या $5$ हो।

  • 6 से: संख्या $2$ और $3$ दोनों से विभाजित हो।

  • 8 से: अंतिम तीन अंकों से बनी संख्या $8$ से विभाजित हो।

  • 9 से: अंकों का योग $9$ से विभाजित हो।

  • 10 से: अंतिम अंक $0$ हो।

  • 11 से: (सम स्थानों के अंकों का योग) - (विषम स्थानों के अंकों का योग) = $0$ या $11$ का गुणज।


निष्कर्ष

संख्या पद्धति गणित की नींव है। CTET परीक्षा में सफलता के लिए, आपको केवल परिभाषाएँ ही नहीं, बल्कि उनके अनुप्रयोग (Applications) भी समझने होंगे। जातीय मान, स्थानीय मान, रोमन अंक और अभाज्य संख्याओं की पहचान पर विशेष ध्यान दें। नियमित अभ्यास ही इन अवधारणाओं को पक्का करेगा।



संख्या पद्धति और संख्याओं के प्रकार

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