CTET : विकास की अवधारणा एवं अधिगम से संबंध

Sunil Sagare
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अ) विकास (Development) की अवधारणा

  • परिभाषा (Definition): विकास एक सतत (निरंतर) और व्यापक प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्यु (गर्भ से कब्र तक) तक चलती रहती है। यह व्यक्ति में होने वाले गुणात्मक (Qualitative) और परिमाणात्मक (Quantitative) दोनों परिवर्तनों का समग्र रूप है।

  • उदाहरण: बच्चे की ऊँचाई (परिमाणात्मक परिवर्तन/वृद्धि) और उसकी सोचने की क्षमता (गुणात्मक परिवर्तन) दोनों ही विकास का हिस्सा हैं।

  • विकास की प्रकृति:

    • विकास केवल शारीरिक अंगों के बढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक और नैतिक परिवर्तन भी शामिल हैं।

    • यह परिपक्वता (Maturation) और अधिगम (Learning) के परस्पर प्रभाव का परिणाम है।

१. विकास के अभिलक्षण (Characteristics of Development)

  • निरंतरता का सिद्धांत (Principle of Continuity): विकास कभी न रुकने वाली प्रक्रिया है। यह धीमी गति से शुरू होता है और जीवन भर चलता रहता है।

    • उदाहरण: भाषा का विकास बचपन में तेज होता है, पर वयस्क होने पर भी व्यक्ति नए शब्द सीखता रहता है।

  • व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत (Principle of Individual Differences): दो व्यक्तियों में विकास की दर, स्वरूप और गति एक समान नहीं होती है।

    • उदाहरण: दो बच्चों का चलना शुरू करने का समय अलग-अलग हो सकता है, भले ही उनकी उम्र समान हो।

  • विकास का क्रम (Sequence of Development): विकास एक निश्चित क्रम का पालन करता है।

    • उदाहरण (शारीरिक विकास): पहले बच्चा सिर उठाना सीखता है, फिर बैठना, फिर खड़ा होना और अंत में चलना।

  • सामान्य से विशिष्ट की ओर (General to Specific): बच्चा पहले सामान्य प्रतिक्रियाएँ करता है, फिर विशिष्ट प्रतिक्रियाएँ करना सीखता है।

    • उदाहरण: शुरू में बच्चा किसी वस्तु को पकड़ने के लिए पूरे हाथ का उपयोग करता है, बाद में केवल उंगलियों का उपयोग करता है।

  • विकास की दिशा (Direction of Development): विकास दो मुख्य दिशाओं का अनुसरण करता है।

    • शीर्षगामी/मस्तकाधोमुखी (Cephalocaudal): विकास सिर से पैर की दिशा में होता है।

      • उदाहरण: बच्चा पहले अपने सिर और भुजाओं पर नियंत्रण प्राप्त करता है, फिर पैरों पर।

    • समीप-दूराभिमुख/केन्द्र से बाहर की ओर (Proximodistal): विकास शरीर के केंद्र से शुरू होकर बाहरी भागों की ओर होता है।

      • उदाहरण: बच्चा पहले अपनी भुजाओं को नियंत्रित करना सीखता है, फिर कलाई और अंत में उंगलियों की बारीक गति (Fine Motor Skills) को।

  • एकीकरण का सिद्धांत (Principle of Integration): बच्चा पहले संपूर्ण अंग को चलाता है, फिर अंग के भागों को, और अंत में दोनों में समन्वय (Coordination) स्थापित करता है।

    • उदाहरण: किसी बॉल को पकड़ने के लिए, पहले पूरा हाथ फैलाना, फिर उंगलियों का उपयोग करना, और अंत में हाथ और उंगलियों का एक साथ उपयोग करना।

  • पूर्वानुमेयता का सिद्धांत (Principle of Predictability): विकास की गति को देखकर उसके भविष्य के स्वरूप और स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है।

२. विकास के आयाम (Dimensions of Development)

  • शारीरिक विकास (Physical Development): शरीर के आकार, ऊँचाई, वज़न और आंतरिक अंगों में परिवर्तन। इसमें गत्यात्मक विकास (Motor Development) भी शामिल है।

    • स्थूल गत्यात्मक कौशल (Gross Motor Skills): बड़ी मांसपेशियों का उपयोग (जैसे दौड़ना, कूदना, चलना)।

    • सूक्ष्म गत्यात्मक कौशल (Fine Motor Skills): छोटी मांसपेशियों का उपयोग (जैसे लिखना, बटन बंद करना, सुई में धागा डालना)।

  • संज्ञानात्मक/मानसिक विकास (Cognitive Development): सोचने, तर्क करने, याद रखने, समस्या समाधान (Problem-Solving), कल्पना और भाषा के विकास से संबंधित।

    • जीन पियाजे (Jean Piaget) का योगदान: उन्होंने बौद्धिक विकास की चार अवस्थाएँ बताई हैं।

  • सामाजिक विकास (Social Development): समाज के नियमों, रीति-रिवाजों और मानदंडों को सीखना, दूसरों के साथ अंतःक्रिया (Interaction) करना और सामाजिक भूमिकाएँ निभाना।

  • संवेगात्मक विकास (Emotional Development): संवेगों (जैसे- क्रोध, भय, प्रेम, खुशी) को समझना, नियंत्रित करना और उचित अभिव्यक्ति करना।

  • नैतिक विकास (Moral Development): सही-गलत (Right-Wrong) के बीच अंतर करने की क्षमता का विकास।

    • कोहलबर्ग (Kohlberg) का योगदान: उन्होंने नैतिक विकास के चरणों (Stages) का वर्णन किया।

  • भाषा विकास (Language Development): विचारों को व्यक्त करने और समझने के लिए ध्वनि संकेतों, शब्दों और वाक्यों का उपयोग करना सीखना।


ब) वृद्धि (Growth) की अवधारणा

  • परिभाषा (Definition): वृद्धि से तात्पर्य शरीर के आकार, ऊँचाई और वज़न में होने वाले परिमाणात्मक (Quantitative) परिवर्तनों से है, जिन्हें मापा जा सकता है।

  • उदाहरण: बच्चे की ऊँचाई का 3 फीट से 4 फीट हो जाना।

  • वृद्धि की अवस्थाएँ (Stages of Growth): वृद्धि विभिन्न अवस्थाओं में भिन्न गति से होती है।

    • शैशवावस्था (Infancy): (जन्म से 2 वर्ष) शारीरिक वृद्धि बहुत तीव्र होती है।

    • पूर्व बाल्यावस्था (Early Childhood): (2 से 6 वर्ष) शारीरिक वृद्धि धीमी हो जाती है, लेकिन गत्यात्मक कौशल (दौड़ना, कूदना) का विकास तेज होता है।

    • उत्तर बाल्यावस्था (Later Childhood): (6 से 12 वर्ष) वृद्धि स्थिर और धीमी होती है। संज्ञानात्मक और सामाजिक कौशल का विकास अधिक होता है।

    • किशोरावस्था (Adolescence): (12 से 18/19 वर्ष) शारीरिक वृद्धि में अचानक तेज़ी (Growth Spurt) आती है। लैंगिक परिपक्वता (Sexual Maturation) आती है।

१. वृद्धि एवं विकास में अंतर

आधारवृद्धि (Growth)विकास (Development)
प्रकृतिमुख्य रूप से परिमाणात्मक (मात्रात्मक) होती है।गुणात्मक और परिमाणात्मक दोनों होती है।
क्षेत्रयह विकास का एक छोटा हिस्सा है (शारीरिक परिवर्तन तक सीमित)।यह एक व्यापक प्रक्रिया है (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक आदि शामिल)।
समयएक निश्चित आयु (जैसे- किशोरावस्था) के बाद रुक जाती हैजीवन-भर (गर्भ से कब्र तक) चलती रहती है।
मापनसीधे मापा जा सकता है (जैसे- ऊँचाई, वज़न)।सीधे मापना मुश्किल है, अवलोकन और मूल्यांकन (Observation & Assessment) की आवश्यकता होती है।

ड) वृद्धि तथा विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  • वंशानुक्रम (Heredity): बच्चों को अपने माता-पिता से मिलने वाले आनुवंशिक गुण, जो उनके विकास के संभावित स्वरूप को निर्धारित करते हैं।

    • उदाहरण: बच्चे की आँखों का रंग, ऊँचाई की सीमा।

  • वातावरण (Environment): जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति के आस-पास की सभी परिस्थितियाँ (भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक)।

    • उदाहरण: पोषण, परिवार का वातावरण, शिक्षा का स्तर, समाज।

  • पोषण (Nutrition): संतुलित आहार शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अति आवश्यक है।

  • अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (Endocrine Glands): इनसे स्रावित हार्मोन (Hormones) शारीरिक वृद्धि और विकास को नियंत्रित करते हैं।

  • बुद्धि (Intelligence): उच्च बुद्धि वाले बच्चों में संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास अक्सर तेज़ होता है।

  • संवेग (Emotions): संतुलित और सकारात्मक संवेगात्मक वातावरण स्वस्थ विकास में सहायक होता है।

  • सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (Socio-Cultural Factors): बच्चा जिस समाज और संस्कृति में रहता है, उसके मूल्य और प्रथाएँ उसके सामाजिक और नैतिक विकास को प्रभावित करती हैं।


इ) अधिगम (Learning) की अवधारणा

  • परिभाषा: अधिगम व्यवहार में अनुभव या अभ्यास के परिणामस्वरूप होने वाला एक अपेक्षाकृत स्थायी (Relatively Permanent) परिवर्तन है।

  • उदाहरण: साइकिल चलाना सीखना, गणित का सूत्र याद करना, किसी समस्या को हल करने का नया तरीका जानना।

  • अधिगम की प्रकृति:

    • यह एक उद्देश्यपूर्ण (Goal-Directed) प्रक्रिया है।

    • यह एक सार्वभौमिक (Universal) प्रक्रिया है, जो सभी जीवों में होती है।

    • यह समायोजन (Adjustment) में सहायक है।

१. विकास का अधिगम से संबंध

  • परस्पर निर्भरता (Interdependence): विकास और अधिगम दोनों एक दूसरे से अंतर-संबंधित (Interrelated) और अंतर-निर्भर (Interdependent) हैं।

    • वाइगोत्स्की (Vygotsky) का मत: अधिगम विकास से पहले हो सकता है। सामाजिक अंतःक्रिया (Social Interaction) के माध्यम से अधिगम होता है, जो आगे विकास को प्रेरित करता है।

    • पियाजे (Piaget) का मत: विकास अधिगम से पहले होता है। बच्चे एक निश्चित विकासात्मक अवस्था में पहुँचने के बाद ही विशिष्ट चीजें सीख सकते हैं।

  • संरचनात्मक आधार (Structural Basis): विकास अधिगम के लिए एक संरचनात्मक आधार प्रदान करता है।

    • उदाहरण: जब तक बच्चे का तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर्याप्त रूप से परिपक्व नहीं हो जाता (विकास), तब तक वह चलना (अधिगम) शुरू नहीं कर सकता।

  • क्षमता निर्माण (Capacity Building): विकास बच्चे में सीखने की क्षमता (Potential for Learning) का निर्माण करता है (जैसे- संज्ञानात्मक विकास से तर्क क्षमता बढ़ती है)।

  • परिपक्वता और अधिगम (Maturation and Learning):

    • परिपक्वता: यह आंतरिक जैविक परिवर्तनों को संदर्भित करती है जो आनुवंशिक कार्यक्रम द्वारा निर्धारित होते हैं (जैसे- दांत निकलना)।

    • संबंध: अधिगम तभी प्रभावी होता है जब बच्चा उस कौशल को सीखने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व हो। अपरिपक्वता की स्थिति में किया गया अधिगम व्यर्थ हो सकता है।

  • सर्वांगीण विकास (Holistic Development): प्रभावी अधिगम बच्चे के सभी विकासात्मक आयामों (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक आदि) के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करता है।


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