CTET परीक्षा पैटर्न और हिंदी पाठ्यक्रम: विस्तृत विश्लेषण (Syllabus Decoding)
यह लेख CTET के पेपर 1 और पेपर 2 के पैटर्न, भाषा चयन की दुविधा और हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम (विषय वस्तु और शिक्षण शास्त्र) का संपूर्ण विश्लेषण प्रदान करता है।
CTET परीक्षा का सामान्य अवलोकन
कुल अंक: 150
कुल समय: 150 मिनट (2.5 घंटे)
प्रश्नों की संख्या: 150 बहुविकल्पीय प्रश्न
नेगेटिव मार्किंग: नहीं (नकारात्मक अंकन का प्रावधान नहीं है)
परीक्षा का माध्यम: ऑफलाइन (OMR शीट आधारित)
पासिंग मार्क्स:
सामान्य वर्ग: 90 अंक (60%)
आरक्षित वर्ग (OBC/SC/ST): 82 अंक (55%)
पेपर 1 की संरचना (कक्षा 1 से 5 के शिक्षक के लिए)
पेपर 1 में कुल 5 विषय होते हैं। सभी अनिवार्य हैं।
बाल विकास और शिक्षण शास्त्र (CDP): 30 प्रश्न - 30 अंक
भाषा 1 (अनिवार्य): 30 प्रश्न - 30 अंक
भाषा 2 (अनिवार्य): 30 प्रश्न - 30 अंक
गणित: 30 प्रश्न - 30 अंक
पर्यावरण अध्ययन (EVS): 30 प्रश्न - 30 अंक
मुख्य बिंदु:
गणित और EVS का स्तर NCERT की कक्षा 1 से 5 की पुस्तकों पर आधारित होता है।
कठिनाई का स्तर माध्यमिक स्तर तक जा सकता है।
पेपर 2 की संरचना (कक्षा 6 से 8 के शिक्षक के लिए)
पेपर 2 में कुल 4 खंड होते हैं। इसमें विषय का चुनाव करना होता है।
बाल विकास और शिक्षण शास्त्र (CDP): 30 प्रश्न - 30 अंक
भाषा 1 (अनिवार्य): 30 प्रश्न - 30 अंक
भाषा 2 (अनिवार्य): 30 प्रश्न - 30 अंक
मुख्य विषय (विकल्प): 60 प्रश्न - 60 अंक
गणित और विज्ञान: (विज्ञान वर्ग के छात्रों के लिए)
सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान: (कला और वाणिज्य वर्ग के छात्रों के लिए)
मुख्य बिंदु:
यहाँ गणित/विज्ञान या सामाजिक विज्ञान का भार (Weightage) सबसे अधिक 60 अंक है।
प्रश्नों का आधार NCERT कक्षा 6 से 8 है, लेकिन कठिनाई स्तर उच्च माध्यमिक (Senior Secondary) तक होता है।
भाषा 1 बनाम भाषा 2 का चयन: सही रणनीति
अधिकतर छात्र फॉर्म भरते समय भाषा चयन में गलती करते हैं, जिससे उनके अंक कम हो जाते हैं।
भाषा 1 किसे चुनें?
वह भाषा चुनें जिस पर आपकी पकड़ सबसे मजबूत है।
इसमें एक गद्यांश (कहानी/निबंध) और एक पद्यांश (कविता) पूछा जाता है।
कविता को समझना और उससे जुड़े प्रश्नों के उत्तर देना थोड़ा कठिन हो सकता है।
सुझाव: यदि आपकी हिंदी अच्छी है, तो हिंदी को भाषा 1 के रूप में चुनें।
भाषा 2 किसे चुनें?
यह भाषा तुलनात्मक रूप से सरल होती है।
इसमें दो गद्यांश पूछे जाते हैं (कविता नहीं पूछी जाती)।
गद्यांश को पढ़कर उत्तर देना कविता की तुलना में आसान होता है।
सुझाव: अंग्रेजी या संस्कृत (या अन्य दूसरी भाषा) को भाषा 2 के रूप में चुनें।
मूल अंतर:
भाषा 1: साहित्य और व्याकरण का स्तर थोड़ा उच्च होता है।
भाषा 2: सामान्य संचार और समझ पर आधारित होती है।
हिंदी पाठ्यक्रम का विभाजन (15 + 15 फॉर्मूला)
CTET में हिंदी के 30 अंकों को दो बराबर भागों में बांटा गया है।
भाग A: विषय वस्तु (Content) - 15 अंक
इस भाग में रटने के लिए कुछ नहीं होता, यह पूरी तरह समझ पर आधारित है।
1. अपठित गद्यांश (Unseen Passage):
लगभग 9-10 प्रश्न गद्यांश से पूछे जाते हैं।
विषय: सामाजिक, वैज्ञानिक, कथात्मक या तर्कप्रधान हो सकते हैं।
2. अपठित पद्यांश (Unseen Poem) - केवल भाषा 1 के लिए:
लगभग 5-6 प्रश्न कविता से पूछे जाते हैं।
भावार्थ और अलंकार की समझ आवश्यक है।
3. व्याकरण (Grammar):
CTET में अलग से व्याकरण के प्रश्न नहीं आते।
व्याकरण गद्यांश या पद्यांश के संदर्भ में ही पूछी जाती है।
महत्वपूर्ण व्याकरण विषय:
संधि और संधि विच्छेद
समास
उपसर्ग और प्रत्यय
विलोम और पर्यायवाची शब्द
तत्सम-तद्भव
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण की पहचान
अलंकार (मुख्य रूप से पद्यांश में)
भाग B: हिंदी शिक्षण शास्त्र (Hindi Pedagogy) - 15 अंक
यह सबसे महत्वपूर्ण खंड है। इसे समझने के लिए रट्टा मारने की बजाय अवधारणाओं को समझना जरूरी है।
1. अधिगम और अर्जन (Learning and Acquisition):
अर्जन: प्राकृतिक प्रक्रिया, अचेतन मन से, मातृभाषा का सीखना, परिवार से शुरू होता है।
अधिगम: प्रयासपूर्ण प्रक्रिया, चेतन मन से, द्वितीय भाषा या मानक भाषा सीखना, विद्यालय में होता है।
2. भाषा शिक्षण के सिद्धांत:
स्वाभाविकता का सिद्धांत: भाषा प्राकृतिक रूप से सीखी जानी चाहिए।
रुचि का सिद्धांत: शिक्षण सामग्री रोचक होनी चाहिए।
क्रियाशीलता का सिद्धांत: बच्चा करके सीखता है।
व्यक्तिगत विभिन्नता: हर बच्चे की सीखने की गति अलग होती है।
3. भाषा के कार्य और विचार:
संप्रेषण का माध्यम।
विचारों की अभिव्यक्ति।
जीन पियाजे: विचार पहले आते हैं, भाषा बाद में।
लेव वाइगोत्स्की: भाषा और विचार शुरू में अलग होते हैं, बाद में मिल जाते हैं।
नोम चोम्स्की: बच्चों में भाषा सीखने की जन्मजात क्षमता होती है (LAD - Language Acquisition Device)।
4. भाषा कौशल (Language Skills):
क्रम: सुनना (Listening) → बोलना (Speaking) → पढ़ना (Reading) → लिखना (Writing)। (LSRW)
ग्रहणात्मक कौशल (Input): सुनना और पढ़ना (जिससे हम जानकारी ग्रहण करते हैं)।
अभिव्यक्तात्मक कौशल (Output): बोलना और लिखना (जिससे हम विचार व्यक्त करते हैं)।
5. भाषा में सुनने और बोलने की भूमिका:
श्रवण कौशल का विकास।
शुद्ध उच्चारण का महत्व।
मौखिक अभिव्यक्ति के प्रकार।
6. व्याकरण की भूमिका:
व्याकरण को संदर्भ में पढ़ाना चाहिए, न कि नियमों को रटाकर।
संप्रेषण क्षमता बढ़ाने में व्याकरण का महत्व।
7. भाषायी विविधता (बहुभाषिकता):
भारत एक बहुभाषी देश है।
कक्षा में बहुभाषिकता को एक संसाधन (Resource) के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि बाधा के रूप में।
मातृभाषा का सम्मान करना अनिवार्य है।
8. शिक्षण सहायक सामग्री (TLM):
दृश्य सामग्री: श्यामपट्ट, चार्ट, मानचित्र, पाठ्यपुस्तक।
श्रव्य सामग्री: रेडियो, टेप रिकॉर्डर।
दृश्य-श्रव्य सामग्री: टेलीविजन, कंप्यूटर, वीडियो (सबसे प्रभावी)।
सामग्री सस्ती, सुरक्षित और प्रासंगिक होनी चाहिए।
9. मूल्यांकन (Evaluation):
सतत और व्यापक मूल्यांकन (CCE):
रचनात्मक मूल्यांकन (Formative): पढ़ाई के दौरान, सुधार के लिए। (40%)
योगात्मक मूल्यांकन (Summative): सत्र के अंत में, परिणाम के लिए। (60%)
निदानात्मक परीक्षण: बच्चों की कमियों का पता लगाना।
10. उपचारात्मक शिक्षण (Remedial Teaching):
निदानात्मक परीक्षण के बाद कमियों को दूर करने के लिए दिया जाने वाला शिक्षण।
इसका उद्देश्य छात्रों के अधिगम अंतराल को भरना है।
परीक्षा पास करने की 'रामबाण' रणनीति
1. टैग वर्ड्स (Tag Words) का उपयोग:
पेडागोजी हल करते समय कुछ शब्दों पर विशेष ध्यान दें।
सकारात्मक शब्द (Positive): अवसर देना, प्रोत्साहन, सक्रिय भागीदारी, संदर्भ में सीखना, मातृभाषा, संसाधन, विभिन्नता। (ये उत्तर सही होने की संभावना बढ़ाते हैं)
नकारात्मक शब्द (Negative): केवल, ही, रटना, कंठस्थ करना, दंड देना, हतोत्साहित करना, व्याकरण के नियम, पाठ्यपुस्तक केंद्रित। (ये विकल्प अक्सर गलत होते हैं)
2. बच्चे को केंद्र में रखें:
हमेशा वह विकल्प चुनें जो 'बाल-केंद्रित' हो।
बच्चा कभी गलत नहीं होता, व्यवस्था गलत हो सकती है।
शिक्षक एक 'सुविधादाता' (Facilitator) है, तानाशाह नहीं।
3. पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र (PYQ):
CTET में प्रश्न बहुत दोहराए जाते हैं।
2011 से अब तक के हिंदी के पेडागोजी प्रश्न हल करें।
गद्यांश को समय सीमा में हल करने का अभ्यास करें।
4. समझ बनाम रटना:
परिभाषाएं रटने से बचें।
व्यावहारिक उदाहरणों (Classroom scenarios) को समझें।
5. समय प्रबंधन:
हिंदी के 30 प्रश्नों के लिए अधिकतम 25-30 मिनट ही दें।
गद्यांश पढ़ते समय पहले प्रश्नों को एक बार सरसरी निगाह से देख लें, फिर गद्यांश पढ़ें। इससे उत्तर जल्दी मिलते हैं।
