भाषा और चिन्तन

Sunil Sagare
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1. भाषा (Language) : अर्थ और प्रकृति

भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारे विचारों को मूर्त रूप देने और ज्ञान के निर्माण का एक सशक्त उपकरण है।

  • परिभाषा: भाषा भावों, विचारों और इच्छाओं को अभिव्यक्त करने का एक सांकेतिक साधन है।

  • वाणी और भाषा में अंतर:

    • वाणी: यह भाषा का मौखिक रूप है। यह ध्वनियों का उच्चारण है।

    • भाषा: यह एक व्यापक व्यवस्था है जिसमें व्याकरण, नियम और संकेत शामिल हैं। वाणी भाषा का ही एक हिस्सा है।

  • भाषा की विशेषताएं:

    • भाषा एक अर्जित संपत्ति है, पैतृक नहीं।

    • यह नियम-बद्ध (Rule-governed) प्रणाली है।

    • भाषा गतिशील होती है, स्थिर नहीं।

    • भाषा का आधार "प्रतीकात्मक" होता है।


2. भाषा के मुख्य घटक (Parts of Language)

परीक्षा के दृष्टिकोण से भाषा की संरचना को समझना आवश्यक है। इसके चार मुख्य भाग होते हैं:

A. स्वनिम (Phoneme)

  • यह भाषा की सबसे छोटी ध्वनि इकाई है।

  • इसका अपना कोई अर्थ नहीं होता, लेकिन यह शब्दों के अर्थ को बदल सकती है।

  • उदाहरण: 'क', 'ख', 'त', 'थ', 'ch', 'ph'.

  • यदि हम 'कल' शब्द में 'क' की जगह 'च' लगा दें, तो शब्द 'चल' बन जाता है।

B. रूपिम (Morpheme)

  • यह अर्थ की दृष्टि से भाषा की सबसे छोटी इकाई है।

  • यह शब्द का वह छोटा रूप है जिसका कोई अर्थ निकलता हो।

  • उदाहरण: 'आना', 'पढ़', 'वाला', 'सुंदर'।

  • 'असुंदर' शब्द में दो रूपिम हैं: 'अ' (जिसका अर्थ 'नहीं' है) और 'सुंदर'।

C. वाक्य-विन्यास (Syntax)

  • यह भाषा का व्याकरण है।

  • इसमें कर्ता, कर्म और क्रिया को सही क्रम में रखने के नियम शामिल हैं।

  • उदाहरण: "राम स्कूल जाता है" (सही विन्यास)।

  • "जाता है स्कूल राम" (गलत विन्यास)।

D. अर्थ-विन्यास (Semantics)

  • इसका संबंध वाक्य के अर्थ से होता है।

  • एक वाक्य व्याकरण की दृष्टि से सही हो सकता है, लेकिन अर्थ की दृष्टि से गलत हो सकता है।

  • उदाहरण: "मेरा कुत्ता कॉफी पीता है" (अर्थपूर्ण वाक्य)।

  • "मेरा कुत्ता साइकिल चलाता है" (वाक्य-विन्यास सही है, लेकिन अर्थ-विन्यास की दृष्टि से यह बेतुका है)।


3. भाषा विकास के चरण (Stages of Language Development)

बच्चे जन्म से ही भाषा सीखने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। इसका एक निश्चित क्रम होता है:

  • रोना (Crying): जन्म के तुरंत बाद। यह बच्चे की पहली अभिव्यक्ति है।

  • कुहकना (Cooing): लगभग 6 सप्ताह की उम्र में। बच्चा स्वर ध्वनियाँ (vowels) जैसे 'उउउ...', 'आआ...' निकालता है।

  • बड़बड़ाना (Babbling): लगभग 6 महीने की उम्र में। बच्चा स्वर और व्यंजन को मिलाकर बोलता है। जैसे- 'बा-बा', 'दा-दा', 'मा-मा'।

  • एक शब्दीय अवस्था (One-word stage): लगभग 1 साल की उम्र में। बच्चा एक शब्द के माध्यम से अपनी पूरी बात कहने की कोशिश करता है।

  • तार वाली भाषा (Telegraphic Speech): 18 से 24 महीने (1.5 से 2 साल) के बीच।

    • बच्चा दो शब्दों को जोड़कर छोटे वाक्य बनाता है।

    • उदाहरण: "मम्मा पानी", "गाड़ी गई"।

    • इसमें व्याकरण के जटिल शब्दों (जैसे 'है', 'था', 'के') का लोप होता है।

  • जटिल वाक्य: 3 साल के बाद बच्चा लंबे और व्याकरण सम्मत वाक्य बोलने लगता है।


4. भाषा विकास के प्रमुख सिद्धांत (Theories of Language Development)

CTET में सबसे अधिक प्रश्न इसी खंड से आते हैं।

A. नोम चोमस्की (Noam Chomsky) - जन्मजात सिद्धांत

  • चोमस्की का मानना है कि बच्चों में भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात (Innate) होती है।

  • LAD (Language Acquisition Device): उन्होंने कहा कि मानव मस्तिष्क में एक 'भाषा अधिग्रहण यंत्र' होता है जो बच्चों को व्याकरण के नियम खुद बनाने में मदद करता है।

  • सार्वभौमिक व्याकरण (Universal Grammar): सभी भाषाओं का मूल व्याकरण एक जैसा होता है और बच्चे इसे स्वाभाविक रूप से ग्रहण कर लेते हैं।

  • 5 साल तक LAD सबसे अधिक सक्रिय रहता है, इसीलिए बचपन में भाषा सीखना आसान होता है।

B. बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) - व्यवहारवादी सिद्धांत

  • स्किनर के अनुसार बच्चे भाषा अनुकरण (Imitation) और पुनर्बलन (Reinforcement) से सीखते हैं।

  • बच्चा माता-पिता की नक़ल करता है, और जब उसे शाबाशी मिलती है, तो वह उस शब्द को दोहराता है।

  • इसे "ऑपरेंट कंडीशनिंग" के माध्यम से समझाया गया है।

C. अल्बर्ट बंडूरा (Albert Bandura) - सामाजिक अधिगम

  • बच्चे समाज में दूसरों को बोलते हुए देखते और सुनते हैं (मॉडलिंग) और उसी से भाषा सीखते हैं।

  • अवलोकन और अनुकरण इनकी थ्योरी का आधार है।

D. जीन पियाजे (Jean Piaget) - संज्ञानात्मक दृष्टिकोण

  • पियाजे का मानना है कि विचार (Thought) भाषा से पहले आते हैं

  • भाषा केवल विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है।

  • अहंकेन्द्रित वाक (Egocentric Speech): 3-5 साल का बच्चा खुद से बातें करता है। पियाजे इसे "उपयोगी नहीं" मानते हैं और कहते हैं कि जैसे-जैसे सामाजिकता बढ़ती है, यह खत्म हो जाता है।

  • विकास का क्रम: पहले संज्ञानात्मक विकास -> फिर भाषा विकास।

E. लेव वाइगोत्स्की (Lev Vygotsky) - सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण

  • वाइगोत्स्की के अनुसार भाषा और विचार शुरू में (3 साल तक) अलग-अलग होते हैं, बाद में मिल जाते हैं।

  • भाषा विकास सामाजिक अन्तःक्रिया (Social Interaction) से होता है।

  • निज वाक (Private Speech): बच्चा जो खुद से बोल-बोल कर बातें करता है, वाइगोत्स्की इसे बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। उनके अनुसार बच्चा इसके द्वारा अपने कार्यों को दिशा (Self-regulation) देता है।

  • पियाजे के "अहंकेन्द्रित वाक" को ही वाइगोत्स्की ने "निज वाक" कहा और उसे महत्व दिया।


5. भाषा और विचार का संबंध: पियाजे बनाम वाइगोत्स्की

यह तुलना बहुत महत्वपूर्ण है:

  • पियाजे: "विचार न केवल भाषा का निर्धारण करते हैं, बल्कि उससे पहले भी आते हैं।" (Thought determines Language).

  • वाइगोत्स्की: "भाषा और विचार के अलग-अलग स्रोत हैं, लेकिन विकास के दौरान वे आपस में मिल जाते हैं।" भाषा विचार प्रक्रिया को दिशा देती है।

  • बेंजामिन व्होर्फ (Linguistic Relativity): इनका मानना है कि "भाषा हमारे विचारों को निर्धारित करती है।" हम जो भाषा बोलते हैं, उसी के अनुसार हम दुनिया को देखते हैं।


6. चिन्तन (Thinking)

चिन्तन एक उच्च संज्ञानात्मक प्रक्रिया है। यह समस्या समाधान का आधार है।

  • प्रकृति: यह एक मानसिक प्रक्रिया है जो किसी समस्या के उत्पन्न होने पर शुरू होती है।

  • इसमें प्रतीक, चित्र, भाषा और अवधारणाओं का प्रयोग होता है।

चिन्तन के प्रकार:

1. अभिसारी चिन्तन (Convergent Thinking)

  • जब किसी समस्या का केवल एक सही उत्तर हो।

  • यह तथ्यों पर आधारित होता है।

  • उदाहरण: भारत की राजधानी क्या है? (उत्तर केवल 'नई दिल्ली' है)।

  • यह "बुद्धि" (Intelligence) से अधिक जुड़ा है।

2. अपसारी चिन्तन (Divergent Thinking) / सृजनात्मक चिन्तन

  • जब एक समस्या के अनेक समाधान सोचे जा सकें।

  • यह सृजनात्मकता (Creativity) से सीधे जुड़ा है।

  • इसमें मौलिकता, लचीलापन और प्रवाह होता है।

  • उदाहरण: "यदि आपके पंख होते तो आप क्या करते?" (इसके असीमित उत्तर हो सकते हैं)।

  • इसे "ओपन-एंडेड" (Open-ended) चिन्तन भी कहते हैं।

3. आलोचनात्मक चिन्तन (Critical Thinking)

  • गुण और दोषों को परखकर निर्णय लेना।

  • इसमें तर्क, विश्लेषण और मूल्यांकन शामिल है।

  • अंधविश्वास को नहीं मानना और "क्यों और कैसे" पर सवाल उठाना।


7. तर्क (Reasoning)

तर्क चिन्तन का वह रूप है जिसमें हम उपलब्ध जानकारी के आधार पर निष्कर्ष निकालते हैं।

A. आगमन तर्क (Inductive Reasoning)

  • उदाहरण से नियम की ओर।

  • विशिष्ट से सामान्य की ओर।

  • उदाहरण: राम नश्वर है, सीता नश्वर है -> अतः सभी मनुष्य नश्वर हैं।

  • यह विधि प्राथमिक कक्षाओं और विज्ञान शिक्षण के लिए सर्वोत्तम है।

B. निगमन तर्क (Deductive Reasoning)

  • नियम से उदाहरण की ओर।

  • सामान्य से विशिष्ट की ओर।

  • उदाहरण: सभी मनुष्य नश्वर हैं (नियम) -> मोहन एक मनुष्य है -> अतः मोहन नश्वर है।

  • गणित और व्याकरण के नियम रटाने में इसका प्रयोग होता है।


8. समस्या समाधान (Problem Solving)

यह एक लक्ष्य-निर्देशित व्यवहार है।

  • चरण:

    1. समस्या की पहचान करना।

    2. समस्या का विश्लेषण करना।

    3. संभावित समाधानों (परिकल्पना) का निर्माण।

    4. समाधान का परीक्षण करना।

    5. निष्कर्ष निकालना।

  • बाधाएं:

    • मानसिक विन्यास (Mental Set): किसी समस्या को बार-बार एक ही पुराने तरीके से हल करने की कोशिश करना और नए तरीके न सोच पाना।

    • कार्यात्मक स्थिरता (Functional Fixedness): किसी वस्तु का केवल उसके परंपरागत उपयोग के बारे में सोचना। (जैसे- ईंट का प्रयोग केवल दीवार बनाने के लिए सोचना, पेपरवेट के रूप में नहीं)।


9. भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  • स्वास्थ्य: बीमार बच्चों का भाषा विकास धीमा हो सकता है।

  • बुद्धि: उच्च बुद्धि वाले बच्चों का शब्द भंडार जल्दी विकसित होता है।

  • सामाजिक-आर्थिक स्तर: समृद्ध वातावरण और उत्तेजना मिलने पर भाषा बेहतर होती है।

  • लिंग: अध्ययन बताते हैं कि लड़कियों का भाषा विकास लड़कों की तुलना में थोड़ा जल्दी और स्पष्ट होता है।

  • द्विभाषिकता (Bilingualism): यदि कक्षा में बहुभाषिकता (Multilingualism) है, तो इसे एक संसाधन (Resource) के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि बाधा के रूप में। यह संज्ञानात्मक लचीलापन बढ़ाता है।


10. भाषा विकार (Language Disorders)

  • अफेजिया (Aphasia): मस्तिष्क में चोट के कारण भाषा समझने या बोलने में असमर्थता।

  • डिस्लेक्सिया (Dyslexia): पठन विकार, जिससे भाषा सीखने में कठिनाई होती है।

  • हकलाना/तुतलाना: यह मनोवैज्ञानिक कारणों या आत्मविश्वास की कमी से हो सकता है। इसे उचित चिकित्सा और धैर्य से सुधारा जा सकता है।


महत्वपूर्ण स्मरणीय बिंदु (Quick Recap for Exam)

  • चोमस्की: LAD, सार्वभौमिक व्याकरण (जन्मजात)।

  • पियाजे: विचार पहले, भाषा बाद में। अहंकेंद्रित वाक।

  • वाइगोत्स्की: भाषा और विचार समानांतर। निज वाक (Self-talk) कार्य को दिशा देता है।

  • स्किनर: भाषा नकल और पुनर्बलन से आती है।

  • सृजनात्मकता: अपसारी (Divergent) चिन्तन से जुड़ी है।

  • बहुभाषिकता: एक संसाधन (Resource) है।

  • स्वनिम: ध्वनि की सबसे छोटी इकाई।



भाषा और चिन्तन

Mock Test: 20 Questions | 20 Minutes

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